भाव निखर।
हो चिरंतन, कर मुखर।
रह सरल, तरल, सुलझ सँवर।
अमृत नहीं, बस ज्ञान मृत्यु का;
सहज प्रेम, स्पष्ट शत्रुता;
ऐसी ही सीधी बातों का मुझ पर जादू कर।
भाव निखर।
भाव निखर।
हो चिरंतन, कर मुखर।
रह सरल, तरल, सुलझ सँवर।
अमृत नहीं, बस ज्ञान मृत्यु का;
सहज प्रेम, स्पष्ट शत्रुता;
ऐसी ही सीधी बातों का मुझ पर जादू कर।
भाव निखर।