उत्सव

Photo by Pixabay on Pexels.com

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

रचना में अभिजात है,

रूप में हर क्षण अभिनव है ।

पीड़ा में जननी है,

भाव में सदैव उद्भव है ।

प्रलय में भी अमर्त्य है,

असम्भव प्रतीत, परंतु संभव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

चरित्र में अप्रतिम चेष्टा,

कर्तव्य में एकाग्र निष्ठा,

संस्कार में शुचिता प्रत्यक्ष,

प्रेम में साक्षात पराकाष्ठा ।

हर दिशा से मूर्तिमान सौष्ठव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

विक्षुब्ध करता अनंत विस्तार,

प्रकाश से अधिक अंधकार,

पर अपनी ज्योति जलाने का,

अवसर देता बारम्बार ।

परीक्षा है सतत, नहीं पराभव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

जितनी बाधाएँ, उतने ही बल,

हारने की पीड़ा, जीतने के छल,

कितने ही कुटिल प्रतिघात,

और उतने ही परोपकार निर्मल ।

यहाँ उन्माद है तो वहाँ नीरव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

अपेक्षा कि हर रंग प्रगाढ़ हो,

मधुर-मदिर स्थायी स्वाद हो,

चेतना बना रहे समरस,

शेष नहीं कोई प्रमाद हो ।

यह अभाव शाश्वत अनुभव है ?

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

ज्ञान, कि सब कुछ नश्वर है,

यह आतंक भी बहुत सुन्दर है,

जगती इससे अबूझ जिज्ञासा,

क्या है निश्चित और अमर है ?

सतत शोध का अमिट वैभव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

.

प्राप्त हुआ तो संघर्ष है,

जी लिया तो उत्कर्ष है,

गहनतम वेदना में भी,

इसमें देवत्व का स्पर्श है ।

एक क्षण मोहिनी, दूसरे ताण्डव है ।

जीवन हर रंग में उत्सव है ।

Published by

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s