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रचना में अभिजात है,
रूप में हर क्षण अभिनव है ।
पीड़ा में जननी है,
भाव में सदैव उद्भव है ।
प्रलय में भी अमर्त्य है,
असम्भव प्रतीत, परंतु संभव है ।
जीवन हर रंग में उत्सव है ।
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चरित्र में अप्रतिम चेष्टा,
कर्तव्य में एकाग्र निष्ठा,
संस्कार में शुचिता प्रत्यक्ष,
प्रेम में साक्षात पराकाष्ठा ।
हर दिशा से मूर्तिमान सौष्ठव है ।
जीवन हर रंग में उत्सव है ।
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विक्षुब्ध करता अनंत विस्तार,
प्रकाश से अधिक अंधकार,
पर अपनी ज्योति जलाने का,
अवसर देता बारम्बार ।
परीक्षा है सतत, नहीं पराभव है ।
जीवन हर रंग में उत्सव है ।
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जितनी बाधाएँ, उतने ही बल,
हारने की पीड़ा, जीतने के छल,
कितने ही कुटिल प्रतिघात,
और उतने ही परोपकार निर्मल ।
यहाँ उन्माद है तो वहाँ नीरव है ।
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अपेक्षा कि हर रंग प्रगाढ़ हो,
मधुर-मदिर स्थायी स्वाद हो,
चेतना बना रहे समरस,
शेष नहीं कोई प्रमाद हो ।
यह अभाव शाश्वत अनुभव है ?
जीवन हर रंग में उत्सव है ।
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ज्ञान, कि सब कुछ नश्वर है,
यह आतंक भी बहुत सुन्दर है,
जगती इससे अबूझ जिज्ञासा,
क्या है निश्चित और अमर है ?
सतत शोध का अमिट वैभव है ।
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प्राप्त हुआ तो संघर्ष है,
जी लिया तो उत्कर्ष है,
गहनतम वेदना में भी,
इसमें देवत्व का स्पर्श है ।
एक क्षण मोहिनी, दूसरे ताण्डव है ।
जीवन हर रंग में उत्सव है ।