
मेरे दिल के बहुत से रंग हैं,
तुझे दिखता क्यों बस लाल है?
मेरी आँखों में हैं इतनी कहानियाँ,
तुझे दिखता बस एक सवाल है।
तेरी सारी बातें जायज हों,
है इससे मुझे इनकार नहीं,
मुझे सुने बिना दिया फैसला,
बस इस बात का मलाल है।
हर वक्त कुछ गढते रहें,
अपनी जिद रही है उम्र भर,
कुछ थके-थके से लगते हो,
तुम अपना कहो क्या हाल है?
कोई अपना हुआ तो सब गैर क्यों,
यह गफलत है या प्यार है,
कहीं शुरु से ही तो हम गलत नहीं,
करता बेचैन मुझे यह खयाल है।
बस हम ही हम जब दिखने लगे,
लगता बाकी सब फिजूल हो,
नजर तो गलत है शर्तिया,
शायद गलत राह पर चाल है।
हक के नाम क्यों ऐसे लड़े,
कि सही गलत धुँधला गये,
नजर आता सिर्फ धुआँ ही है,
जब खत्म होता यह उबाल है।
एक मुस्कुराहट जो हमसे कहे,
कि सबकुछ अच्छा है लग रहा,
उस पर लगा दी पाबंदियाँ,
और कहते हैं कि जीना मुहाल है।
शख्सियत अपने से बड़ी,
करने में खर्च दी काबीलियत,
कहते हैं अब कुछ बचा नहीं,
सचमुच यह सादगी कमाल है।
एक अनमोल प्रेम कहानी बहुत सुन्दरता से लिख रहे हो 🌷🙏👍🏻बहुत बधाइयाँ 👌🌺😍
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बहुत बहुत धन्यवाद। आभारी हूँ।
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