
जीना है गति, लय, उर्जा, होने का मौलिक अंग,
जीवन, व्यापक पृष्टभूमि में रचना और प्रसंग।
जीने और जीवन के बीच एक स्पष्ट अनुबंध है,
एक है रचना की वेदना, दूसरा उच्चरित छंद है।
एक है स्पंदन क्षणों का, दूसरा शाश्वत गतिमान,
हर पल के संयोजन से ही निरंतरता का अभियान,
छोटी-छोटी ऋचाओं का जैसे वेदों का सम्बन्ध है।
जीने और जीवन के बीच एक स्पष्ट अनुबंध है।
टिमटिमाते तारे बुनते जिस भाँति आकाश को,
हर किरण का योग ही तो सृजित करता प्रकाश को,
सृष्टी की हर ज्योति भागी, प्रखर है या मंद है।
जीने और जीवन के बीच एक स्पष्ट अनुबंध है।
क्षण के निश्चय मार्ग दिखाते, हर आगंतुक क्षण को,
जो संकलित हो दिशा दे, मन को और चिंतन को।
अहर्निश चलता, संवेग और चेतना का सम्बंध है।
जीने और जीवन के बीच एक स्पष्ट अनुबंध है।
कर्म और प्राप्ति का, कर्तव्य और अधिकार का,
मन की ज्वाला, श्रद्धा, संयम, और स्वतंत्र विचार का,
अर्थ उतना ही मौलिक जितना इनका द्वन्द्व है।
जीने और जीवन के बीच एक स्पष्ट अनुबंध है।