हवा आने दो

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थोड़ा गुबार भी संग  में लायेगा,

फिर भी दरवाजा खोल दो, हवा आने दो।

अपनी खुशबू अपने साथ ले के जायेगा,

फिर भी जो जाता है उसको जाने दो।

बंद कमरों मे दिल तंग हो जाते हैं,

खिल उठेंगे, जरा रौशनी तो उन पर छाने दो।

कभी नंगे पाँव गलियों में घूम आया करो,

चुभन के बाद के राहत की समझ आने दो।

तुम मायूस हो कि कोई समझ पाता नहीं तुम्हे,

एक बार उन्हें अपनी पूरी बात तो कह पाने दो।

किसी के हाल पर तरस खाओ इससे से पहले,

अपनी खुशियों पता तो उसको बताने दो।

खुशी और अहमियत दो अलग-अलग बातें हैं,

गलतफहमी में लुटा मत देना सही खजाने को।

जेहन के कोनों को पुरानी चीजों से खाली रख,

ताकि दिल जिद करता रहे नया कुछ पाने को।

गुजरे वक्त से आहटें आती हैं, सुना करो,

तन्हाइयों में कुछ तो हो खुद को सुनाने को।

शिकायतें कब तक करेंगें, लूट लिये जाने की,

एकबार तो हौसला हो, लुटने और लुटाने को।

थोड़ा दर्द भी देगा, तसल्ली जिससे भी माँगेंगे,

क्या अपना ही काफी नहीं इस दिल को बहलाने को?

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