
मिल मुस्कुरा हर अजनबी से, अच्छा लगेगा,
चांद को देखो कहीं से, अच्छा लगेगा।
कल जब कोई कहेगा किसी से, किस तरह,
हमने प्यार किया हमीं से, अच्छा लगेगा।
शक-शुबह के दायरे जब घेर लें चारों तरफ,
यकीन की शुरुआत कहीं से, अच्छा लगेगा।
रंजिश सारे जहान से और बंद सीने में धुआँ,
आँसू छलकने दे जमीं पे, अच्छा लगेगा।
मायूसी हरेक बात पे, नाउम्मीदी दुआओं से,
माँग ले कुछ भी खुशी से, अच्छा लगेगा।
कोसते हर शै को गर मुद्दतें गुजरी यहीं
उठ कर तू चल दे कहीं पे, अच्छा लगेगा।
तल्ख है सारा जमाना, खार खाये हैं सभी,
बात तो कर जरा नरमी से, अच्छा लगेगा।
हर हाथ नहीं बढता है, तेरे ही गिरेबान को,
तू हाथ दे हाथों किसी के, अच्छा लगेगा।
छोड़ दे जिद अपने हाथों पे पौधे उगाने के,
फूल चाहे खिले कहीं पे, अच्छा लगेगा।
जीतने को बहुत से जंग हैं ओर दुनियाँ में,
छोड़ लड़ना जिंदगी से, अच्छा लगेगा।
कहने को है बहुत कुछ, हर एक के पास,
छोड़ डरना इन बतकही से, अच्छा लगेगा।
गफलत अगर है, यह कहाँ आ गये हैं हम,
शुरुआत कर तू फिर वहीं से, अच्छा लगेगा।
आसमान सारा अगर सूना-सा लगने लगे कभी,
थोड़ी दोस्ती दिल्लगी से, अच्छा, लगेगा।
फिक्र सारे जहान की, माना कि अच्छी बात है,
थोड़ी देर बैठना तसल्ली से, अच्छा लगेगा।
बेहतरीन
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धन्यवाद। आभारी हूँ।
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Most welcome 😃
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