
ऐसा कम होता है,
कि कोई हमारा नाम पुकारे,
जब किसी अनजान गली से गुजर जायें,
रोज जिन फूलों देख कर हम मुस्कुराते हैं,
कभी वे भी हमें देखकर मुस्कुरायें।
और किसी अजनबी से मिलते ही,
सदियों की पहचान का भ्रम होता है।
ऐसा कम होता है।
शिकायतें कंधों पर पड़ी बोझों की खुद से,
बेड़ियों की जकड़नों के किस्से बहुत से,
गुजरते रहे वक्त के मेले कुछ यूँ ही,
किधर चले पता नहीं, पर दम भर न ठहरे,
पर किसी घायल को उठाते ही,
सध जाता आगे बढता हर कदम होता है।
ऐसा कम होता है।
लड़ते हुए खुशियों के लिये ही,
गुजरी उम्र अब तक की, पर मिली नहीं,
जब भी थक कर बैठे तो सोचा किया,
क्या लड़ने से खुशी किसी को मिली है कहीं?
और ऐसे में अचानक महसूस हो,
कि औरों की खुशी में खुशी,
और औरों के गम में गम होता है।
ऐसा कम होता है।
यह जो कम होता है,
कितना खुशफहम होता है।
तपते उजालों में छाँव की तरह मिलता है,
लुका छिपी खेलते नंगे पाँव की तरह मिलता है,
अफसोस कि क्यों नहीं ऐसा हरदम होता है।
और सवाल खुद से कि क्यों आखिर,
ऐसा कम होता है?