
सपने इतने सुहाने नहीं होते,
अगर नींद के संग टूटते नहीं।
बचपन इतना प्यारा नहीं लगता,
अगर सदा के लिये बीतता नहीं।
जिज्ञासा प्रश्न ही रह जाती,
यदि सम्मुख अज्ञात नहीं होता,
गति सहज प्रवृत्ति नहीं होती,
यदि अंतत: प्रयास जीतता नहीं।
आशा से स्पंदित, रंजित
भोर की अमल अरुणिमा,
शौर्य, श्रम से रंगी स्थिर-सी
संध्या की सघन लालिमा,
प्रकाश का अर्थ नहीं होता,
यदि अंधकार प्रतीतता नहीं।
गति सहज प्रवृत्ति नहीं होती,
यदि अंतत: प्रयास जीतता नहीं।
सपनों के पलने के हेतु
गति विराम आवश्यक है,
कितना अद्भुत कि इतिहास ही
प्रगति का पहला वाहक है।
पहली राह नहीं बन पाती,
यदि व्यवधानें होती पता नहीं।
गति सहज प्रवृत्ति नहीं होती,
यदि अंतत: प्रयास जीतता नहीं।
करुणा, क्षमा और परहित जीवन,
शौर्य, शक्ति के जाये हैं,
भाव उत्पीड़न और आधिपत्य के,
संशय और भय ने उपजाये हैं।
मन का पात्र भरता फिर कैसे
यदि पुर्वाग्रह से रीतता नहीं?
गति सहज प्रवृत्ति नहीं होती,
यदि अंतत: प्रयास जीतता नहीं।