
मैंने देखा है,
लहरों पर तैरती भावनाओं का
नि:शब्द मेला लगते हुए,
और उन्ही क्षणों में,
मन के किसी कोने में,
प्यार को जगते हुए।
जब चारों ओर सबकुछ उदास होता है,
तुम भी बहुत दूर होते हो,
मन बेचैन तो होता है,
पर उसमें बेचैनी से भी ऊँचा,
एक गर्म एहसास होता है।
ये लहरें, ये मेले,
ये भावनाएँ,
और चाहतों के झमेले,
सचमुच छोटी चीजें है,
प्यार इनका मोहताज नहीं,
बस उलझनों की परतें थी,
जो कल भी चारों ओर थी,
आज भी है दिल में छुपी कहीं।
इन्हीं लमहों में मैं
फूल की पंखुड़ियों से,
अपने फरेबों को काटना चाहता हूँ,
दूर तुमसे सही,
इस प्यार को हर किसी से बाँटना चाहता हूँ।
बहुत सुन्दर👌
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धन्यवाद।
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