शौर्य की महिमा न कम हो

white seagull flying on sky
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कुटुम्ब है बसुधा, मूल भावना,

उन्मुक्त सृष्टि है सबका आंगन,

अदृश्य, परंतु एक सूत्रता में,

बँधे हुए हैं हर जड़ चेतन,,

उचित है कि हर हृदय में

भाव करुणा का प्रथम हो।

पर, शौर्य की महिमा न कम हो।

 

जगत व्यापार के नियम सरल,

नीचे ही पहले भरता जल,

अस्तित्व सदैव सापेक्ष सबल।

अपने अस्तित्व की रक्षा को

अनिवार्य है कि हर कोई सक्षम हो।

शौर्य की महिमा न कम हो।

 

विकृति में, श्रेष्ठता का विचार यदि,

करे किसी पर हीनता का प्रहार यदि,

धृष्ट स्वछंदता बन जाये अनाचार यदि,

वांछित है सामर्थ्य प्रतिकार का,

परिस्थिति चाहे जितनी विषम हो।

शौर्य की महिमा न कम हो।

 

प्रकृति भले विकराल हो चले,

दसों दिशाएँ लाल हो चले,

मानव उन्नत भाल हो चले,

यही दृढ़ता, ऐसी शक्ति सदैव हो,

ऐसी ही प्रार्थना मन हरदम हो,

शौर्य की महिमा न कम हो।

 

 

 

करुणा पहली किरण भोर की,

पथ सत्कर्मों के ओर की,

भ्रम जाल के सारे बंध तोड़ती,

पर शक्ति नहीं तो करुणा अशक्त है,

उचित कि ऊर्जा का स्थान अहम हो।

शौर्य की महिमा न कम हो।

 

बल न कभी भी कर पाये अनहित,

लक्ष्य, न कोई कभी हो शोषित,

इतिहास करे ना किसी को बंचित,

स्वाभिमान के संग भ्रातृत्व का,

हर हृदय में स्थान परम हो।

शौर्य की महिमा न कम हो।

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