
हासिल चाहे जो भी हो, तलाश में कमी ना रहे।
क्या मिला ये सवाल न हो, प्यास में कमी ना रहे।
रोशनी को जलने का, हुनर सीख कुछ इस तरह,
काली स्याह रातों में भी कभी, रूह गमगीं ना रहे।
तुम बताओ किस तरह जाओगे मुझको छोड़ कर,
ताकि जिन्दगी ये ना कहे, साथ मेरे तुम ही ना रहे।
जीत का जश्न ठहर अभी, फिर एक बार जी लेने दे,
वो तनहाइयां, वो करवटें, वो इंतजार के रतजगे।
भूलने सब कुछ लगा हूँ सिवाय अनगढ बचपन के,
वह छलक छलक गिरती खुशी, और बरसते कहकहे।
इंसानियत पत्थर पर लकीरों से ऊपर की चीज है,
थोड़ा-सा तो हिलो डुलो कि मुद्दआ वहीं ना रहे।
हर महफिल अच्छी लगती,जहाँ मिलते यार पुराने हों,
खयालात कुछ नये नये हों, और कुछ किस्से अनसुने।
बस एक चाहत मे बदन पे ता-उम्र जख्म खाते रहे,
कि मुड़ के जो देखें कभी, तो ये रूह जख्मी ना दिखे।
चांद को मुट्ठी में पकड़ना तेरी फितरत हो मगर,
सितारों की चाह में न हो कि, पैर तले जमीं ना रहे।