
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?
अपना नहीं यादों का रिश्ता,
और नहीं वादों का रिश्ता,
जो भी जितना साझा है वह सब,
साझा हरदम किये रहो।
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?
तेरी मेरी राह अलग थी,
अपनी अपनी चाह अलग थी,
अलग अलग हम जुड़ गये जितने,
उस बंधन की बात करो।
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?
हीन पराजय, जय कोलाहल,
योजन दूर, पर एक धरातल,
जीत हार के भाव छलें ना,
कुछ ऐसे मेरी बाँह धरो।
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?
ध्यान तुम्हारा घर का आंगन,
धूल भरा पर सुरभित बचपन,
दौड़ूँ तो गिरने का डर मन से
फूक मार तिरोहित कर दो।
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?
माँग रह हूँ कब से तुम से,
मुद्दत हुई जो तुमसे बिछड़े,
माँग मुझसे सखा भाव तुम
कुंठा सारी विगलित कर दो।
बहुत दिनों के बाद मिले हो!
कहो दोस्त, अच्छे तो हो?