खुद से बातें करना हम भी सीख गये,
अपनी चुप्पी को सहलाते,
मन को बच्चों सा बहलाते,
मन के अंदर एहसास जगे हैं कई नये।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
मेघ, कोयल, नदी, और उपवन,
संगीत मधुर और कर्कश गर्जन,
छूने लगे कहीं, और मन के तार बजे।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
बीती बातें, भूले किस्से और धुँधलका,
यादें पुरानी और उजाला हलका-हलका,
अपने से कहने को कितने लफ्ज मिले।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
किसी मोड़ पर रंज, कहीं पर प्यार,
वादे जुड़े और, टूटे कितनी बार,
नहीं निभाये रिश्ते भी मीठे जान पड़े।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
धड़कन बेकाबू, कितने मन के डर अनजाने,
हैरत भरते, नहीं समझ आये अफसाने,
नस नस दौड़े और घुमड़ कर ठहर गये।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
बिना बंद के गाने, बिन कड़ियों की बातें,
मतलब की तलाश से दूर, बेफिक्री की रातें,
जैसे सब कुछ छोड़, अपने के ही पास हुए।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
स्वाभिमान से उन्नत हर सर की इच्छा,
मान किसी का कभी न हत हो ऐसी शिक्षा,
पड़ी रौशनी मन में तो अंदर ये दीख गये।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
किलकारियाँ बच्चों की जैस बिना अर्थ के,
सबका हक खुश होना हो बिना शर्त के,
जब यह मन में आये लगा कि जीत गये।
खुद से बातें करना हम भी सीख गये।
lajawab
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आभार।
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वाह 👌👌
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अति सुंदर सत्य ।🙏🎻
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