बहुत तूफान देखे हैं
बहुत किनारे देखे हैं।
हासिल मुकाम भी,
अपने वो सारे देखे हैं।
जो नहीं देख पाया
उसे देखने को अब तो,
सूरज ही मुझे चाहिये,
बहुत चांद-तारे देखे हैं।
बहुत तूफान देखे हैं
बहुत किनारे देखे हैं।
हासिल मुकाम भी,
अपने वो सारे देखे हैं।
जो नहीं देख पाया
उसे देखने को अब तो,
सूरज ही मुझे चाहिये,
बहुत चांद-तारे देखे हैं।