दोस्ती
ताना बाना नहीं है,
बँधना बँधाना नहों है।
बस खुलते जाना है।
दोस्ती
एक दूसरे तक आना जाना नहीं है,
दूर होकर भी साथहोने एहसास जताना है।
दोस्ती
सुनना सुनाना नहीं है,
रूठना मनाना नहीं है,
खोना औरपाना भी नहीं है,
दोस्ती
बिना कुछ कहे भी
एक दूसरे को समझ पाना है।
दोस्ती
विश्वास की चट्टान है,
चरित्र का खजाना है।
और इसका रंग
उतना ही गहरा
जितना यह पुराना है।
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
दोस्ती बचपन की पहली चाहत,
दोस्ती औरों को अपनाना,
मैं को खोना, हम को पाना,
दोसती सुकून उम्र भर की है,
घबड़ाहट में जैसे राहत।
दोस्ती है खुद को दे देना,
पीछे रख कर तेरा-मेरा,
जहाँ मिल गये वहीं बसेरा,
देने से परहेज नहीं,
और लेना जैसे खुद से लेना।
दोस्ती जैसे घर का पता हो,
कभी कहीं जो भटक गये तो,
पता लौट के कहाँ है जाना,
-नहीं सूझता कुछ यार बता दो-
दोस्ती जैसे घर का पता हो।
दोस्ती खुली आँखों का सपना,
कभी भी बाँधे नहीं बँधेगा,
कभी साँचे में नहीं ढलेगा,
झगड़े, प्यार, मनुहार दिल्लगी,
रोना गाना सब है अपना।
दोस्ती मुक्ति का बोध हरेक क्षण,
पोर-पोर बस खुलते जाना,
गप्प सराके, हँसी ठहाके,
यह भी भूला, वह भी विस्म्रित,
शेष बचा तो केवल जीवन।
दोस्ती मुक्ति का बोध हरेक क्षण।